मध्यमवर्गीय की चाह कुछ और..........

Covid-19 के संक्रमण के चलते वो वर्ग जो तकलीफ में है और जिसे मदद की किरण भी नज़र नहीं आ रही है, तो वो है मध्यमवर्गीय| ऐसे ही कई परिवारों से जागरुक भारतीय की टीम ने बात की है व सभी से कुछ सवाल पूछे गए थे जिसमे से एक सवाल यह भी था कि क्या अब वह स्वयं के लिए रहवासी भूखंड या आवास खरीदने का सोचेंगे ?


अधिकांश व्यक्ति के मन में एक प्रकार के भय ने अपनी जगह बना ली है खास तौर पर वह मध्यमवर्गीय, जो व्यापारी है या निजी संस्थानों में नौकरी कर रहे है उनका कहना है की उन्हें अब खुद का रहवासी भूखंड या आवास खरीदने का सोचने में भी डर लग रहा है क्योंकि बैंक सिर्फ 80 प्रतिशत ही ऋण देता है बाकि का 20 प्रतिशत व रजिस्ट्री का खर्चा खरीदार को स्वयं ही वहन करना होता है जो कि व्यक्ति अभी तक की जमा पूंजी से ही निकालकर लगाता था | परन्तु Covid-19 के संक्रमण के चलते जो भयावह स्थिति से आम जनता का साक्षात्कार हुआ है उसके बाद हर व्यक्ति के मन में यही विचार आ रहा है कि अपनी जमा पूंजी को हाथ मत लगाओ क्योंकि यह बुरे वक्त में काम आएगी |  अब ऐसे में यदि किसी को अपना घर खरीदना हो तो कैसे खरीदेगा ?


इस स्थिति से निपटने के लिए केंद्र सरकार को चाहिए कि रहवासी भूखंड या आवास खरीदने के लिए व उसकी रजिस्ट्री करवाने के शुल्क के लिए वह 100 प्रतिशत का ऋण मुहैया करवाए, जिससे की मध्यमवर्गीय के मन में जो स्वयं का घर खरीदने का सपना पल रहा है वो पूरा हो सके |


 मध्यमवर्गीय को दिए हुए ऋण हमेशा बैंक के लिए सुरक्षित ही होते है, क्योंकि मध्यमवर्गीय कभी भी अपनी इज्जत पर आंच नहीं आने देते है व वह हमेशा ही समय पर ऋण की किश्त चुकाते है |


जहाँ एक और सरकार करोड़ों अरबों रुपये के विलफुल डिफाल्टर को क्लीन चिट दे रहीं है ऐसे में मध्यमवर्गीय परिवारों के स्वयं के घर के सपनो को पूरा करने के लिए सरकार को 100 प्रतिशत का ऋण मुहैया करवाने में भला क्या गुरेज होगा ?